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51.मुहब्ब्त ही नहीं ख्वाहं जवानी के सहारे की,
जवानी भी मुहब्ब्त के सहारे को तरसती है।।

52.मैं भला चुप क्यूँ न रहता मुझको मालूम था,
नेवलों के भाग्य का अब फैसला करते है सांप।।

53.कोई पछतावा नहीं अपने गुनाहों पर मिझे,
अपनी नेकी पर मगर अक्सर मलाल आता रहा।।

54.तुम्हारी राह में मिट्टी के घर नहीं आते,
इसलिए तो हम तुम्हे नजर नहीं आते।।

55.शब्द का जौहरी मैं हूँ या नही,
ये दुनिया को आंकना होगा।।

56.रोता भी हूँ अगर तो छलकते नहीं है अश्क,
वह कौन था जो आँखों का पानी सूखा गया।।

57.कोई काश पूछे की क्या ढूंढता हूँ,
खुदी में खुदी का पता ढूढ़ता हूँ।।

58.जब अँधेरा दूर होगा आइए,
बर्फ को तो फूंक कर सुलगाइए।।

59.आँख गीली,होठ ठंडे और दिल में आँधियाँ,
तीन मौसम एक ही संग ओढ़ता है आदमी।।

60.उनको अपना बेटा आँख का तारा लगे सही,
हर माँ को अपना बेटा कान्हा सा लगता है।।

61.तुम समझना नहीं चाहते औरतों का सुभाव,
वो पहेली नहीं,औरतों को समझकर देखो।।

62.पत्थर ले कर आया है जो,
मेरा ही हमदम लगता है।।

63.कल तितलियां देखीं तो मेरे हाथ बड़ गए,
मुझको गुमान था मेरा बचपन गुजर गया।।

64.सूखे नल पर बैठा कोवा ख्याल देखता है,
शायद आज बना होगा मेरे घर में खाना।।

65.इस तरह से चलते जाओ,आँचल में अंगार लिए,
वक्त तुम्हारी राह देखता है फुलों के हार लिये।।

66.मायूस जिंदगी तुझे समझना है मुश्किल,
हम हंस भी अगर दें,तुझे हंसाना है मुश्किल।।

67.कितना मुश्किल है आदमी होना,
दो दो चेहरे दिखाई देते है।।

68.तेरे आकाश का इंद्रधनुष क्षणिक है, अस्थाई है,
तेरे बाग़ में हर तितली आवारा है, हरजाई है।।

69.है समझना दर्द अगर मेरे पांव के छालों का तो,
धुप में सड़कों पे नँगे पाँव चलकर देखिए।।

70.फूल ने देखा तराजू सिसकियाँ भरने लगता है,
आज कटों से मेरी कीमत लगाई जायेगी।।

71.आग चारों तरफ फैल रही थी,
उनको लगा की जैसे उजाला हुआ।।

72.वो ठोकरों से करते है मुर्दों को जिन्दा,
यह सुन सुन के मरना पड़ा हर किसी को।।

73.खुदी को कर बुलन्द इतना की हर तकदीर से पहले,
खुदा बन्दे से खुद पूछे बता तेरी रजा क्या है?

74.जरा सी बात थी,अर्जे तमन्ना पर बिगड़ बैठे,
वो मेरी उम्र भर की दास्ताने-इश्क क्या सुनते।।

75.वज्म में उसकी न हँसते है न रो सकते हैं,
चुपके बैठे हुए एक का मुह तकते हैं।

76.मुँह तो दिखलावें जरा गौर से मुलाक़ात करेँ,
हमकों सौ वस्ल हैं जो हँस के बह इक बात करें।।

77.रस्ते-रोशन के आगे शम्मा रखकर वो यह कहते,
उधर जाता है देखें या इधर आता है परवाना।।

78.जो तुम्हारी तरह तुमसे कोई झूठे वादे करता,
तुम्ही मूनसफी से कह दो तुम्हे ऐतबार होता?

79.अल्लाह रे बे सबति-ए-उम्र फना पसन्द,
बुझता है यह चराग की हवा के साथ।।

80.वह दिल है संग जिसमें तेरी जुस्तजू न हो।
वह गुल है खार जिसमें मुहब्बत की बू न हो।।



81.मौत ने आकर शिफा बक्शी मरिजे इश्क को,
जिंदगी भर आप तदबीरे दबा करते रहे।।

82.उनसे अकसर मिली खबर तेरी,
जिनका अपना पता नहीं होता।।

83.वक्त की जब जमीर बदलेगी जिंदगी की खमीर बदलेगी,
यह गरीबी भी आत्मा की तरह देख लेना शरीर बदलेगी।।

84.भंवरा जब गाने लगा मीत मिलन के गीत,
कलियों ने हंसकर कहा तू क्या जाने प्रीत।।

85.चितवन का रंग शराबी है होठों का रूप गुलाबी है,
तेरा अंग अंग पढ़कर देखा तीरा सारा बदन किताबी है।।

86.देखता है क्या हमें घबरा के तू गिरदाब में,
नाखुदा!रखते है हम भी डूबने का हौसला।

87. देेेख हमारे माथे पर यह दशते तलब की धुूूल मिियां,
हमसे अजब तेरा दर्द का नाता देख हमें मत भूल मियाँ।

88.कौन कहता है कि मौत आई तो मर जाऊँगा,
मैं तो दरिया हुँ समंदर में उतर जाऊंगा।

89.मुझको नफरत से नहीं प्यार से मसलुब करो,
मैं तो शामिल हूँ मुहब्बत के गुनहगारों में।

90. कांप उठती हुँ मैं यह सोचकर तन्हाई में,
मेरे चेहरे पे तेरा नाम न पढ़ ले कोई।

91.वो तो खुश्ब है हवाओं में बिखर जाएगा,
मस्ला तो फूल का है फूल किधर जाएगा।

92.शाम के ठंडी आहों में भी तेरी खशबू शामिल थी,
रात गए तब पेड़ों ने तेरा जिक्र आजकर किआ।

93.ऐसे चुपचाप भी क्या जिया जाए,
अब कहीं इश्क ही किया जाए।

94.किसकी आंखों में मेरे अक्स पहन रखें है,
खुद से मिलना हो तो उस शख्श के घर जाता हुँ।


95. तेज हवा ने हर तरफ आग बखेर दी तमाम,
अपने ही घर का जिक्र क्या शहर के शहर जल गये।

96. शाख से कटने का गम उनको बहुत था लेकिन,
फूल मजबूर थे हंसते रहे गुलदानों में।

97. न था कुछ तो खुदा था, कुछ न होता, तो खुदा होता,
डुबोया मुझ को होने ने, न होता मैं तो क्या होता

98. वस कि दुश्वार है, हर काम का आसा होना,
आदमी को भी मुयस्सर नही, इनसा होना।

99.आह को चाहिए इक उम्र, असर होने तक,
कौन जीता है तिरी जुल्फ के सर होने तक.

100. मत पूछ, कि क्या हाल है मेरा तेरे पीछे,
तू देख, कि क्या रग है तेरा, मेरे आगे

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