Next Page (बशीर बद्र Best Shayari)

41.वही पढ़ने लिखने का शोंक था,
तेरा नाम लिखना किताब पर,तेरा नाम पढ़ना किताब पर।।

42.मैं ये मानता हूँ मेरे दिये तेरीआंधियों ने बुझा दीये,
मगर एक जुगनू हवाओ में अभी रौशनी का इमाम है।।

43.कभी यूँ भी आ मेरी आँख में की मेरी नजर को ख़बर न हो,
मुझे एक रात नवाज दे मगर इस के बाद सहर न हो।
वो बड़ा रहीम ओ करीम है, मुझे ये सिफत भी अदा करें,
तुझे भूलने की दुआ करूँ तो मेरी दुआ में असर न हो।।

44.उनकी रहमत ने मेरे बच्चे के सर पर लिखा,
इस परिंदे के परों में आसमान सजदा करें।।

45.इबादतों की तरह में ये काम करता हूँ,
मेरा उसूल है पहले सलाम करता हूँ।
मुझे खुदा ने गजल का दयार बख्शा है,
यह सल्तनत मैं मुहब्बत के नाम करता हूँ।।

46.दिन भर सूरज किसका पीछा करता है,
रोज पहाड़ी और से जाती शाम कहाँ।।

47.वो चाँद जब मेरी पलकों पे फूल रक्खेगा,
मैं अपने बच्चों को इक नया आस्मां दूंगा।।

48.जब सहर चुप हो,हँसा लो हमको,
जब अँधेरा हो,जला लो हमको।

49.कहीं चाँद राहों में खो गया,
कहीं चांदनी भी भटक गई,
मैं चराग वो भी बुझा हुआ,
मेरी रात कैसे चमक गई।

50.मेरी दास्ताँ का उरूज था,
तेरी नर्म पलकों की छांव में
मेरे साथ था तुझे जागना,
तेरी आँख कैसे झपक गई।।

51.तेरे साथ से मेरे होंठ तक वही इन्तजार की प्यास है,
मेरे नाम की जो शराब थी,कहीँ रास्ते में झलक गई।।

52.क्या कोई यार आने वाला है,
वक्त पूछे हो आज यार बहुत।

53.मेरे होंठो पे तेरी खुशबु है,
छू सकेगी इन्हें शराब कहाँ।।

54.सुना है उसपर चहचहाने लगे परिंदे भी,
वो एक पौधा जो हमने कभी लगाया था।

55.तमाम उम्र मेरा दम इसी धुएँ में घुटा,
वो इक चिराग था मैनें उसे बुझाया था।।

56.पत्थर के जिगर वालो ,गम में वो रवानी है,
खुद राह बना लेगा बहता हुआ पानी है,
क्यों चांदनी रातों में दरिया पे नहाते हो,
सोये हुए पानी में क्या आग लगानी है।।

57.दूसरों को हमारी सजाएं न दे,
चांदनी रात को बद्ददुआयें न दे,
फूल से आशिकी का हुनर सिख ले,
तितलियां खुद रुकेंगी, सदाएं न दे।।


58.सर पे सूरज की सवारी मुझे मंजूर नहीं,
अपना कद धुप में छोटा नजर आता है मुझे।।

59.उजले-उजले चिराग पहनें हुए,
रात एक सांवली-सी औरत है।
दिन में ये चाँद हमसे भी गया गुजरा,
रात में चाँद खुबसूरत है।।

60.तीर नजरों के ,तो पलकों की कमां रक्खे हैं,
उनकी क्या बात है फूलों की जुबां रख्खे हैं।।

61.रात सोयी हुई रानाइयों ने मुझसे कहा,
हमको हाथ से नहीं, आँखों से छूकर देखो।
हम गरीबों से कभी टूट के मिलने आओ,
क्या बिखरने में मजा है,ये बिखरकर देखो।


62.पहली बार नजरों ने चाँद बोलते देखा,
हम जवाब क्या देते,खो गये सवालों में।।


63. मेरी  मुट्ठी में सूखे हुए फूल है,
खुश्बूओं को उड़ाकर हवा ले गयी।
चाँद ने रात मुझको जगाकर कहा,
एक लड़की तुम्हारा पता ले गयी।।


64.आँसुओं से धुली ख़ुशी की तरह,
रिश्तेते होते है शाइरी की तरह।
हम खुदा बन कर आएंगे,वरना
हम से मिल जाओ आदमी की तरह।।

65.ऐसा नग्मा है जिसमें सदा तक नहीं,
ऐसी आंधी है जिसमें हवा तक नहीँ।
आज दो रेल की पटरियों की तरह,
साथ चलना है और बोलना तक नहीं।।

66.कोई हल न कोई जवाब है, ये सवाल कैसा सवाल है,
जिसे भूल जाने का हुक्म है, उसे भूल जाना मुहाल है।
इसी जर्द पेड़ की ओट में,अभी चाँद हार के सो गया,
तेरे पाक होठों को चूम ले,ये कहां किसी की मजाल है।।

67.गले में उसके खुदा की अजीब बरकत हैं,
को बोलता है,तो इक रौशनी सी होती है।
मैं बोलता हूं,तो इल्जाम है बगावत का,
मैं चुप रहूं,तो बड़ी बेबसी सी होती है।।

68.ग़ज़ल को माँ की तरह बाविकार करता हूँ,
मैं ममता के कटोरे में दूध भरता हूँ।
ये देख,हिज्र तेरा कितना खूबसूरत है,
अजीब मर्द हूँ, सोलह सिंगार करता हूँ।।


69.गजलों का हुनर अपनी आँखों को सिखाएगें,
रोयेंगे बहुत,लेकिन आंसू नहीं आयेंगे।
कह देना समंदर से हम ओस के मोती है,
दरया की तरह तुझसे मिलने नहीं आएंगे।।

70.गाँव मिट जाएँगे, शह जल जायेगा,
जिंदगी तेरा चेहरा बदल जायेगा।
मैं अगर मुस्कुरा के उन्हें देख लूँ,
क़ातिलों का इरादा बदल जायेगा।।

71.जहाँ पेड़ पर चार दाने लगे,
हवा ओ हवस के निशाने लगे।
हुई शाम यादों के इक गाँव से,
परिंदे उदासी के आने लगे।।

72.भूल शायद बहुत बड़ी कर ली,
हमने दुनिया से दोस्ती कर ली।
तुम मुहब्बत को खेल कहते हो,
हमने बर्बाद जिंदगी कर ली।।

73.सियाहियों से बने हर्फ़-हर्फ़ धोते है,
ये लोग रात में कागज कहाँ भिगोते है।
किसी की राह में राहलीज पर दिए न रखो,
किवाड़ सुखी हुई लकड़ीयों के होते है।।

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