शेरों और शायरी

1.नफरतो की आँधियों ने जुल्म ढाया किस कदर
हर तरफ छाया अंधेरा कोई आता नहीं नजर।
फूल वो पावों के नीचे दबाकर रौंदा गया
जिसको माली के इरादों की लग गई थी खबर।

2.जरा सा हंस कर जो दिलों पर वार करता है।
वो एक तीर से दो शिकार करता है।
उस अदमी से हर वक्त होशियार रहो।
जो दूसरों से तुम्हें होशियार करता है।

3.ऐसा मेरे जमीर को कुछ हौसला मिले।
के आंधी में भी चिराग जलता मिले।
ऐसा चिराग देख के हैरान हूं मैं की जो
रातों को रौशनी का पता पूछता मिले।
होशियार रहना ऐसे दोस्त से।
वो शक्श वक्त बढ़ने पर दुश्मन से जा मिले।

4.इतनी सी बात आप समझते नही हजूर।
हम लोग आदमी है फ़रिश्ते नहीं हजूर।
जो लोग अपने आप में खुद आफताब है।
जुगनू की रौशनी के लिए तरसते नही हजूर।।

5.ये भी हसरत जान लो यारो।
हम पर पत्थर उझाल लो यारो।।
मशवरा हमको बाद में देना।
पहले खुद को संभाल लो यारो।।

6.    बाद मुददत के कभी मुझसे मिली कहने लगी।
मेरी परछाई भी मुझको अजनबी कहने लगी।।
तू कहाँ रहती है पूछा था किसी ने एक दिन।
मैं गमों के साथ रहती हूँ ख़ुशी कहने लगी।।

7.देख ली दुनिया,तुम्हारी मेहरबानी देख ली।
तुमने दी थी ओ खुदा, वो जिंदगानी देख ली।।
माँ ने बचपन में सुनाया था जिसको लोरी की तरह।कब हकीकत में वो जंगल की कहानी देख ली।।

8. खुश्बू सी आ रही है इधर जाफरान की।
खिड़की खुली है फिर से कोई उनके मकान की।।
हारे हुए परिंदो जरा उड़के देख तो।
आ जायगी जमीन पे छत आसमान की।।

9. वक्त का आखिरी फरमान अभी बाकी है।
नेरे अंजाम का ऐलान अभी बाकी है।।
बेचकर खुद को कोई कर्ज चुकाएँ तो सही।
पर ख़रीदार का अहसान अभी बाकी है।।

10.ना जाने की ख़ुशी में ये दिन निकलता है।
ना जाने किस गम ये सूरज पिंगलता है।।
बस एक धागे की बात रखने को।
मोम को रोम रोम जलना पड़ता है।।

11.रेशमी जुल्फ नहीँ हम की बिखर जायँगे।
आंधिया तेज चलेंगी तो सँवर जायँगे।।
शब्द के घाव का मिलता नहीं कोई मरहम।
देह के घाव तो औषदि से भी भर जायँगे।।
नाव में बैठे हुओं का तो नहीं मुझको पता।
जो भी लहरों पे चले पार उतर जायँगे।।

12.हादसों से अगर तुम घबराओगे।
एक दिन खुद हादसा बन जाओगे।।
जानते हो ये पत्थरों का शहर है।
किस गली से आइना ले जाओगे।।

13. हाले दिल सुना नहीं सकता।
लफ्जों की परिभाषा समझा नहीं सकता।।
इश्क़ नाजुक मिजाज हे बेहद।
अक्ल का बोझ उठा नही सकता।।

14.फ़टी कमीज नुची आस्तीन कुछ तो है,
गरीब शर्म हया में हसीन कुछ तो है।
लिबास कीमती रख कर भी शहर नंगा है,
हमारे गांव में मोटा महिंन कुछ तो है।।

15.ख़ाब इन जागती आँखों में सजाने वाला,
कौन है वो मेरी नींद चुराने वाला।
एक खुशबु मूझे दीवाना बनाने वाली,
एक झोंका वो मेरे होश उडाने वाला।

16.एक लम्हे के लिए,ये मोअज्जा देखा गया,
पत्थरों के शहर में एक आईना देखा गया।
गिरने वाला तो बुलन्दी छू गया आसमान की,
सम्भल कर चलने वाले को रेंगता देखा गया।।
वो जो भूख था,उसे नींद आ गई,वो सो गया,
जिसने मोती खाए थे वो जागता देखा गया।।

17.होंसला इनता अभी यार नही कर पाए,
खुद को रुस्वां सरे बाजार नहीं कर पाए।
दिल ने करते रहे दुनिया के सफर का समां,
घर की दहलीज मगर पार नहीं कर पाए।।

18.बिझड़ा हरेक शख्श भरे खानदान का,
मुझको ये शाप लग गया किसी मेजबान का।
आकाश को कोसने से कोई फायदा नहीं,
बेहतर है नुक्स देख लूँ अपनी उड़ान का।।

19.यही आवाज का मौसम है न टालों मुझको,
कुछ जवाबों से निपटने दो सवालों मुझको।
मै खरा सिक्का हूँ जब चाहे चला लो मुझको,
सरे बाजार ना यूँ उझालो मुझको।।

20.दोनों ही पक्ष आए है तैयारियों के साथ,
हम गर्दन के साथ वो आरियों के साथ।
सेहत हमारी ठीक रहे भी तो किस तरह,
आते है खुद हकीम ही बिमारियों के साथ।।

21.वो तारीख के कुछ हवालों में था,
वहीं दर्द पांव के छालों में था।
अँधेरे जहां रोज बिकते रहे,
मैं बाजार के उन उजालों में था।।

22.तमाम उम्र ही मैं सोचता रहा तुमको,
न सोचता तो कहाँ तक,न सोचता तुमको।
तुम्हारे मोम के कपड़े है,सोच लो बरतर,
की रोज करना है सूरज का सामना तुमको।।

23.लहुँ जिनका बहाया जा रहा है,
उन्हें कातिल बताया जा रहा है।
जिन्हें अच्छी तरह से जनता हूँ,
मुझे उनसे मिलाया जा रहा है।।

24.खैर गुजरी की तू नहीं दिल में,
अब कोई आरजू नहीं दिल में।
आईने का भरम भी टूट गया,
अक्स वो हूबहू नहीं दिल में।।

25.नजदीक से खुशरंग वो मंजर नहीं देखा,
तितली के परों को कभी छू कर नहीं देखा।
माजी की तरह हमने पलटकर नहीं देखा,
जब घर से निकल आये तो फिर घर नहीं देखा।।

26.जंगल का अँधेरा है बहुत तेज हवा भी,
और जिद है हमारी की जलाएंगे दिया भी।
इस पेड़ से टूट कर अब फल नहीं गिरते,
तू कब से खड़ा है कोई पत्थर तो चला भी।।

27.फूलों का कोई अपना परिवार नहीं होता,
खुशबु का अपना कोई घर द्वार नहीं होता।
कितने अच्छे होते है कागज पानी के रिश्ते,
कागज़ की नाव से दरियाँ पार नहीं होता।।

28.जाने कितनी उड़ान बाकि है,
इस परिंदे में जान बाकि है।
जितनी बंटनी थी बंट चुकी ये जमीं,
अब तो बस आसमान बाकि है।।

29.किसी के घर का बंटवारों से अंदाजा नहीं होता,
हो किसी की जित तलवारों से अंदाजा नहीं होता।
वहीं पर कश्तियाँ डूबी जहाँ खामोश था दरीया,
कभी गहराई का धारों से अंदाजा नहीं होता।।

30.मेरी हथेली में लिखा हुआ दिखाई दे,
वह शख्श मुझको ब्रंग-ए-हिना दिखाई दे,
उसे जो देखूं तो अपना सुराग पाऊँ मैं,
उसी के नाम में अपना पता दिखाई दे।।

31.फूल को फूल क्या समझेगा
जिसको कांटा चुभा नहीं होता।
झांव क्या ऐसे पेड़ की,जिसका
कोई पत्ता हरा नहीं होता।।

32.दामन से तुम छिपाकर अपनी निगाह रखना,
मेरी नजर उठे तो उसके असर से बचना।।
मैं तो महज तुम्हारे दर का रहा भिखारी,
तुम एक बार मेरी खातिर जरा संवरना।।

33.दुनिया की बेरुखी से हैरान नहीं है,
हम पर कोई किसी का अहसान नहीं है,
देखा है मंदिरों में उनको रगडते माथा,
जो कहते है पत्थर में भगवान नहीं है।।

34.हाय बेमौत मर गया कोई,
जिंदगी से उबर गया कोई,
साथ मरने का मुझसे वादा था,
मर गया मैं, मुकर गया कोई।।

35.सौंपीं है इनती दौलतें जिसने आमिर को,
देता रहा वो गीत के सिक्के फकीर को,
होता है ढाई आखरों का खून रोज ही,
ये बात जाके कोई बता दे कबीर को।।

36.कुछ न कुछ थोड़ा बहुत पहचानते होंगे जरूर,
हुस्न वाले नाम मेरा जानते होंगे जरूर,
कौन कहता है नई आदत पुरानी है बहुत,
जिक्र आने पर वो बाहें तानते होंगे जरूर।।

37.दरकार है सहारों पे सहारा मुझे,
किस भँवर में ये तूने उतारा मुझे।
हर बार मैंने थांमी भरोसे की उँगलियाँ,
हर बार यकीन ही ने मारा मुझे।।

38.कहो ना धुप से कुछ,सायबान तलाश करो,
पराया देश है इक ह्मज़ुबाँ तलाश करो,
कहाँ है वक्त छतों को नसीब हों खंबे,
अभी से अपने लिए आसमां तलाश करो।।

39.नफरत की वादियों में हरगिज न पैर रखना,
दिल में न इम्तियाजे क़ाबा ओ देर रखना,
हर दिन का है मसलक बुनियादे खैर रखना,
मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना।।

40.तू मेहर है गर तो नूर हूँ मैं,
तू फूल तो उसकी खुशबु मैं।।
गर तू है जबां तो मैं हूँ बयाँ,
तू गर नहीं मैं गेर नहीं।।

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