Hindi Or Urdu Best Gazals

   1.         तोड़ता है

मेरी हर आरजू हर अरमान तोड़ता है।
ऐ खुदा क्यु अपना ही समान तोड़ता है।

हुस्न और शोखी के गरूर का नशा है ये
अदा से बूत-ए-दिले -नादान तोड़ता है।

मैं वो शीशा हूँ जिसकी किस्मत है टूटना
कभी मुझे पत्थर कभी इंसान तोड़ता है।

ये ग़ज़ल नही मरसिया है उस यकीन की
जो रह रह के अपना ईमान तोड़ता है।

मंदिर हो चाहे मस्जिद पत्थर एक से है
उसे हिंदू ना जाने क्यूँ मुसलमान तोड़ता है।

2. जिसे चाहा

जिसे चाहा नहीं उसको निभाया
मेरे हिस्से में अजब किरदार आया।

चमन में कहर तो फूलों ने ढाया
मगर इलज़ाम काटों पर ही आया।

मेरी चुप्पी पर तो झुंझला गया वो
मेरे चेहरे को लेकिन पढ़ ना पाया।

वहीं मुझको गिराना चाहता है
जिसे मैने कभी चलना सिखाया।

बुझी आँखे भुझे सोने लिए शशि
सितारों के नगर से लोट आया।

3.  हंसेगा जायगा
इस तरह कब तक हंसेगा जायगा।
एक दिन बच्चा बड़ा हो जायंग।
आ गया फिर खिलोने बेचने वाला।
सारे बच्चों को रुला कर जायगा।।
हर समय ईमानदारी की बात।
एक दिन ये आदमी बहुत पछतायगा।।
फाइले यदि मेज पर ठहरे नही।
दफ्तरों के हाथ क्या लग जायगा।।
दौड़ जीतेंगे यहां बैसाखियां वाले
पाँव वाला बस दोड़ता रह जायेगा।।  

4.  नहीं निकला

नजर में आज तक मेरी कोई तुझ सा नहीं निकला।
तेरे चेहरे के अन्दर एक भी चेहरा नहीँ निकला।।

कही मैं डूबने से बच ना जाऊं,सोचकर ऐसा
मेरे नजदीक से होकर कोई तिनका नहीँ निकला।।

जरा सी बात थी ओर कश्मकश ऐसी की मत पूछो।
भिकारी मूड गया और जेब से सिक्का नहीँ निकला।।

सड़क पर चोट खाकर आदमी ही गिरा था लेकिन।
गुजरती भीड़ का उस से कोई रिश्ता नहीँ निकला।।

जहाँ पर जिंदगी की यूँ कहें कि खेरात बंटती हो।
उसी मंदिर से देखा की कोई जिन्दा नहीँ निकला।।

5.वो खुद जान लेते है

वो खुद जान जाते है बुलंदी आसमानो की।
परिंदों को नही तालीम दी जाती उड़ानों की।।

जो दिल में हौसला हो तो कोई मंजिल नही मुश्किल।
बहुत कमजोर दिल ही बात करते है थाकानो कि।।

जिन्हें है सिर्फ मरना ही वो बेशक खुदखुशी कर लें।
कमी कोई नही है जीने के बहनो की।।

महकना और महकाना है केवल काम खुशबू का।
कभी खूश्बु नहीँ मोहताज होती कद्दनो की।।

हमें हर हाल में तूफान से महफूज रखती है।
छतें मजबूत होती है उम्मीदों के मकानों की।।


   6.    हो गई है पीर

हो गई है पीर पर्वत सी पघलनी चाहिए,
इस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिए।
आज यह दीवार, पर्दों की तरह हिलने लगी,
शर्त लेकिन थी कि ये बुनियाद हिलनी चाहिए।
हर सड़क पर,हर गली में ,हर नगर,हर गांव में,
हाथ लहराते हुए हर लाश चलनी चाहिए।
सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नही,
मेरी कोशिश है कि ये सुरत बदलनी चाहिए।
मेरे सीने में नहीं तो तेरे  सीने में सही,
हो कहीँ भी आग, लेकिन आग जलनी चाहिए।।

7.   हमने तन्हाई

हमने तन्हाई में जंजीरे से बातें की है,
अपनी सोई हुई तक़दीर से बातें की है।
तेरे दीदार की क्या खाक तमन्ना होगी,
जिन्दगी भर तेरी तस्वीर से बातें की है।
मौत के डर से मैं खामोश रहूं लानत है,
जबकि जल्लाद कि शमशीर से बातें की है।
केस की लैला या फरहाद की शीरी कह लो,
हम नहीं रांझा,मगर हीरे से बातें की है।
रंग का रंग जमाने ने बहुत देखा है,
क्या कभी आपने बलवीर से बातें की है।

8.  रंजिश ही सही

रंजिश ही सही,दिल ही दुखाने के लिए आ
आ,फिर से मुझे छोड़ के जाने के लिए आ।
कुछ तो मेरे पिरांडे-मोह्हबत का भरम रख,
तू भी तो कभी मुझको मानने के लिए आ ।
पहले से मरासिम न सही,फिर भी कभी तो,
रस्मो-रहे-दुनिया ही निभाने के लिए आ।
किसी-किस को बातेंयेंगे जुदाई का सबब हम,
तू मुझसे खफा है तो जमाने के लिए आ।
एक उम्र से हूँ लज्जते-गिरियां से भी महरूम,
ऐ राहते-जां, मुझको रुलाने के लिए आ।
अब तक दिले-खुशफहम को तुझसे है उम्मीदें,
आ,आखरी शमएं भी बुझाने के लिए आ।
माना कि मुब्बत का छुपना है मुहब्बत,
चुपके से किसी रोज जताने के लिए आ।
जैसे तुझे आते है न आने के बहाने,
ऐसे ही किसी रोज न जाने के लिए आ।।

9.       कोई मस्जिद गुरद्वारे

कोई मस्जिद गुरुद्वारे न शिवाले होंगे,
सिर्फ तू होगा तेरे चाहने वाले होंगे।
जा के प्रदेश में  माँ-बाप को जो भूल गए,
ये गरीबी वो तेरी गोद के पालें होंगे।
ऐब चहरों का छुपा लेना हुनर था जिनका,
सोचिये कितने वो आईने निराले होंगे।
बेच दे अपनी अना, अपनी जबां,अपना जमीर,
फिर तेरे हाथ मेँ सोने के निवाले होंगे।
तुमको तो मिल के पत्थर पे भरोसा है मगर,
मेरी मंजिल तो मेरे पाँव के छालें होंगे।
आज हर जख्म में बेकल है गुलाबों की महक,
संग वालों ने कहीँ फूल उझाले होंगे।।

10.    आँखों में रहा

आँखों में रहा दिल में उतर कर नहीं देखा,
किश्ती के मुसाफिर ने समंदर नही देखा।
बेवक़्त अगर जाऊंगा सब चोंक पड़ेंगे,
इक उम्र हुई दिन मेँ कभी घर नहीं देखा।
जिस दिन से चला हूँ मेरी मंजिल पर नजर है,
आँखों ने कभी मिल का पत्थर नहीं देखा।
ये फूल मुझे कोई विरासत में मिले हैं,
तुमने मेरा काटों भरा बिस्तर नहीं देखा।
पत्थर मुझे कहता है मेरा चाहने वाला,
मैं मोम हूँ,उसने मुझे छूकर नहीं देखा।।

11.तेरी जन्नत से

तेरी जन्नत से हिजरत कर रहे है,
फ़रिश्ते क्या बगावत कर रहे हैं।
हम अपने जुर्म का इकरार कर लें,
बहुत दिन से ये हिम्मत कर रहे हैं।
वो खुद हरे हुए हैं जिंदगी से,
जो दुनिया पर हुकूमत कर रहे हैं।
जमीं भीगी हुई है आँसुओं से,
यहां बादल इबादत कर रहे हैं।
फजा में आयतें महकी हुई है,
कहीं बच्चे तिलावत कर रहे हैं।
परिदों के जमीनो-आसमान क्या,
वतन में रहके हिजरत कर रहे है।
गजल की आग में पलकों के साए,
मोह्हबत की  हिफाजत कर रहे हैं।
हमारी बेबसी की इन्तहां है,
की ज़ालिम कि हिमायत कर रहे हैं।।

12. अब के सावन

अब के सावन में शरारत ये मेरे साथ हुई,
मेरा घर छोड़ कर कुल शहर में बरसात हुई।
आप मत पूछिए क्या हम पे सफर में गुजरी,
था लुटेरों का जहाँ गांव,वहीं रात हुई।
जिंदगी भर तो हुई गुफ्तगू गैरों से मगर,
आज तक हमसे हमारी न मुलाक़ात हुई।
हर गलत मोड़ पे टोका है किसी ने मुझको,
एक आवाज तेरी जब से मेरे साथ हुई।
मैंने सोचा की मेरे देश की हालत क्या है,
एक कातिल से तभी मेरी मुलाकात हुई।।

13.     सुबह हो

औरों के भी गम में जरा रो लूँ तो सुबह हो,
दामन पे लगे दागों को धो लूँ तो सुबह हो।
कुछ दिन से मेरे दिल में नई चाह जागी है,
सर रख के तेरी गोद में सो लूँ तो सुबह हो।
पर बांध के बैठा हूँ नशेमन में अभी तक,
आँखों की तरह पंख भी खोलूं तो सुबह हो।
लफ्जों में छुपा रहता है इक नूर का आलम,
यह सोच कर हर लफ्ज को बोलूं तो सुबह हो।
जो बन ले हवा रहती है जिस्म के अंदर,
उस गन्ध को सांसो में समो लूँ तो सुबह हो।
दुनिया में मुहब्बत का कुँवर कुछ भी नही है,
हर दिल में इसी रंग को घोंलु तो सुबह हो।


14.   सँवर जाना

जिंदगी,आस की दुनिया का सँवर जाना है,
मोत,इंसान के सपनों का बिखर जाना है।
हमसे क्या पूछते हो हमको  किधर जाना है,
हम तो खुशबु हे बरहाल बिखर जाना है।
हम तो खुशबू है बरहाल बिखर जाना है,
और खुसबू का बिखर जाना सँवर जाना।
जिन्दा रहना है तो मरने का सलीका सिखों,
वरना मरने को तो हर व्यक्ति मर जाना है।
जिंगदी क्या है मुसाफिर का निरंतर चलना,
मौत  चलते हुए रही का ठहर जाना है।
आप औरों के हुनर को भी नही करते हुनर,
हमने तो आपके ऐबों को हुनर जाना है।
प्यार की राह में कांटे हों की शोले रोशन
हम गुजर जायँगे हमको तो गुजर जाना है।।

15.       मुझे तो दोस्तो

मुझे तो दोस्तोतो इस बात ने डराया है,
की अपने आपसे हर आदमी पराया है।
ये रात मैने बताया एक पत्थर को,
की मैंने अपना मकां काँच का बनाया है।
वो फुट फुट कर रोया है बच्चों की तरह,
तुमहारे शहर में जिसको भी गुदगुदाया है।
पता लगाओ की पत्थर का तो नहीं हूँ मैं,
की मुझे देख के हर कांच कंपकपाया है।
पड़ीं है गांव के रास्ते में मुंतजिर होकर,
वो एक ठुठ की बीमार सी जो छाया है।
हर एक शख्श भटकता है इक बवंडर सा,
की ज़िन्दगी में यहाँ किसने चैन पाया है।
मुझे लगा कोई उत्सव है दर्द का वह भी,
कोई भी अश्क जब आँखों में टीमटीमाया है।
ग़लत पते का है मैं खत हूँ की डाकिया मुझको,
पराए हाथ में हर बार देके आया है।।

16. चिराग हो के न हो

चिराग हो के न हो दिल जला के रखते है,
हम आंधियों में भी तेवर बला के रखते है।
मिला दिया है पसीना भले ही मिटटी मेँ,
हम अपनी आँखों का पानी बचा के रखते है।
बस एक खुद से ही अपनी नही बनी वरना,
जमाने भर से हमेशा निभा के रखते है।
हमें पसन्द नहीं जंग में भी चालाकी,
जिसे निशाने पर रखते है बता कर रखते है।
कहीं खुलूस,कहीं दोस्ती,कहीँ पे वफा,
बड़े करीने से घर को सज़ा के रखते है।
अना पसदं है हस्ती जी सच सही लेकिन
नजर को अपनी हमेशा झुका के रखते है।।

17. वो मेरे रूबरू

वो मेरे रूबरू होकर ना मेरी कुछ खबर देगा,
मुझे पहचानने से आईना इंकार कर देगा।
लिखी है जो हवाओ पर इबादत मैं वो पढ़ लूंगा,
मुझे उम्मीद है मुझको वो इक ऐसी नजर देगा।
मेरे जख्मों को सीने तो मसीहा बनकर आया है,
मुझे डर है कि वो मौका पाते ही मेरा कत्ल कर देगा।
वो जिसने मुझे भड़काया है सारी उम्र सहरा में,
मुझे मालूम है इक दिन वो ही दीवारों-डर कर देगा।
नहीं चाहेगा तो वो खाक कर देगा मुझे मंजर,
अगर चाहेगा मुझको बियाबान में शजर देगा।।

18.      ठोकर खा

ठोकर खा,पछताकर देख,
आँख जरा छलकाकर देख।
धर्म धरा रह जायेगा,
पैसे चार कमा कर देख।
फिर ना हंसेगा मुझ पर तु,
मन का चैन लुटा कर देख।
खुद भी तू जल जाएगा,
नफरत को दहकाकर देख।
मुझमें क्या है? क्या हूँ मैं,
मुझको गले लगाकर देख।।

19.      मुझे

पत्थर बना दिया तो मिली ये सजा मुझे,
चुपके से संगतराश उठा ले गया मुझे।
खुशबु में डूब जायेगी यादों की डालियाँ,
होंठ पे फूल रख के कभी सोचना मुझे।
पानी खरीदने लगे बादल भी आज कल,
बारिश में भीगना भी लगा बे-मजा मुझे।
घर में हो चिराग तो फिर आंधियां भी हों,
लेना पड़ा दबाव मेँ ये फैसला मुझे।
तकिये के नीचे मैं तो ग़ज़ल रख कर सो गया,
आँख खुली तो आपका चेहरा मिला मुझे।
हाथोँ की कुछ लकीरें बदलती हुई मिली,
लगता है उसने ख़्वाब में कल छू लिया मुझे।

20.पड़ता है

दिल को ये अहसान दिलाना पड़ता है,
खामोशी को बात बनाना पड़ता है।
खुशबु को आवाज लगाने से पहले,
बाग़ में कोई फूल खिलाना पड़ता है।
चाँद की परछाई थाली में दिखा कर,
बच्चों को यूँ भी बहलाना पड़ता है।
रिश्ते कुछ दुरी तक साथ निभाते है,
एक न एक दिन हाथ छुड़ाना पड़ता है।
कुछ रिश्ते ऐसे भी तो बन जाते है,
लोगों को जाकर समझाना पड़ता है।।

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