21. न मिला
मुहब्बतों में दिखावे की दोस्ती न मिला,
अगर गले नहीं मिलता तो हाथ भी न मिला।
घरोँ पे नाम थे,नामों के साथ ओहदे थे,
बहुत तलाश किया,कोई आदमी न मिला।
तमाम रिश्तों को मैं घर पे छोड़ आया था,
फिर उसके बाद मुझे कोई अजनबी न मिला।
खुदा की इतनी बड़ी कायनात में मैंने,
बस एक शक्श को माँगा, मुझे वो ही न मिला।
बहुत अजीब है ये कुर्बतों की दुरी भी,
वो मेरे साथ रहा और मुझे कभी न मिला।
22. दिखाई न दे
खुदा हमको ऐसी खुदाई न दे,
की अपने सिवा कुछ दिखाई न दे।
मुझे ऐसी जन्नत नहीं चाहिए,
जहां से मदीना दिखाई न दे।
मुझे अपनी चादर में यूँ ढाँप लो,
जमीं आस्मां कुछ दिखाई न दे।
मैं अश्कों से नामे मोहम्मद लिखूं,
कलम छीन ले रोशनाई न दे।
गुलामी को बरकत समझने लगें,
असीरों को ऐसी रिहाई न दे।
खुदा ऐसे एहसास का नाम है,
रहे सामने और दिखाई न दे।
23. नहीं आते
होठों पे मुहब्बत के फ़साने नहीं आते,
साहिल पे समंदर के खजाने नहीं आते।
पलकें भी चमक उठती है सोते में हमारी,
आँखों को अभी ख्वाब छुपने नहीं आते।
दिल उजड़ी हुई एक सराय की तरह है,
अब लोग यहाँ रात बिताने नहीं आते।
यरों नए मौसम ने ये एहसास किए हैं,
अब याद मुझे दर्द पुराने नहीं आते।
उडने दो परिंदों को अभी शोख हवा में,
फिर लौट कर बचपन के जमाने नहीं आते।
इस शहर के बादल तेरी जुल्फों की तरह है,
ये आग लगाने आते है, मगर बुझाने नहीं आते।
अहबाब भी गेरों की अदा सिख गए हैं,
आते हैं मगर दिल को दुखाने नहीं आते।
24. वो महकती पलकें
वो महकती पलकों की ओट से कोई चमका था रात में,
मेरी बंद मुठ्ठी न खोलिये वही कोहिनूर है हाथ में।
मैं तमाम तारे उठा उठा के गरीबों में बाँट दूँ,
कभी एक रात वो आस्मां का निजाम दे मेरे हाथ में।
अभी शाम तक मेरे बाग़ मेँ कहीँ कोई फूल खिला न था,
मुझे खुशबुओं मेँ बसा गया तेरा प्यार एक ही रात में।
तेरे साथ इतने बहुत से दिन तो पलक झपकते गुजर गए,
हुई शाम खेल ही खेल में,गई रात बात ही बात में।
कोई इश्क है की अकेला रेत की शाल ओढ़ के चल दिया,
कभी बाल बच्चों के साथ आ ये पहाड़ लगता है रात मेँ।
कभी सात रंगों का फूल हूँ,कभी धुप हूँ कभी धूल हूँ,
मैं तमाम कपड़े बदल चुका तेरे मौसमों की बारात में।।
25. कहाँ आँसुओं को
कहाँ आँसुओं को ये सौगात होगी,
नए लोग होंगे नई बात होगी।
मैं हर हाल में मुस्कुराता रहूंगा,
तुम्हारी मुहब्बत अगर साथ होगी।
चरागों को आँखों में महफूज रखना,
बड़ी दूर तक रात ही रात होगी।
परेशां हो तुम भी,परेशान हूँ मैं भी,
चलो मैकदे में,वहीं बात होगी।
चरागों की लौ से सितारों की जौ तक,
तुम्हें मैं मिलूंगा जहाँ रात होगी।
जहां वादियों में नए फूल आए,
हमारी तुम्हारी मुलाक़ात होगी।
सदाओं को अल्फाज मिलने न पाएँ,
न बादल घिरेंगे न बरसात होगी।
मुसाफिर हैं हम भी,मुसाफिर हो तुम भी,
किसी मोड़ पर फिर मुलाकात होगी।।
26. हम दोनों
सूरज चन्दा जैसी जोड़ी हम दोनों,
दिन का राजा की रानी हम दोनों।
जगमग जगमग दुनिया का मेला झूठा,
सच्चा सोना चांदी हम दोनों।
घर घर दुःख सुख का इक दीपक जले बुझे,
हर दीपक में तेल और बाती हम दोनों।
चारों और समुन्दर बढ़ती चिंताएं,
लहर लहर लहराती बादल किरन किरन,
उजले पर वाले दो पंछी हम दोनों।
मैं दहलीज का दीपक हूँ,आ तेज हवा,
रात गुजारें अपनी अपमी हम दोनों।
27.आँखों को आसुंओ
आँखों को आसुंओ में कभी यूँ सजा दिया,
पलकों को जुगनुओं का झरोखा बना दिया।
लहरों में एक दिन तेरी तसवीर आयेगी,
कागज को आज हमने नहीं में बहा दिया।
मैं शाख़ पर महकता हुआ एक गुलाब था,
ये किसकी बददुआओं ने पत्थर बना दिया।
मैं ताक का दिआ नहीँ, जंगल की आग हूँ,
जा प्तझड़ों का नामों-निशां तक मिटा दिया।
मैं चाँद का ख्याल था,तारों का ख्वाब था,
किसने मुझे चिराग बनाकर बुझा दिया।
अब सुबह की अजान मेरा मुहँ धुलायेगी,
बेख्वाब सिसकियों ने थपक्कर सुला दिया।।
28. उदास चाँद सितारों को हमने छोड़ दिया
उदास चाँद-सितारों को हमने छोड़ दिया,
हवा के साथ चले और हवा को मोड़ दिया।
उस आसमान को हमने जमीन बख्शी है,
ज़मीन सख्त थी,दिल का लहुँ निचोड दिया।
वह जानता है,अकेला कहाँ मैं जाऊंगा,
इसीलिए तो मेरा हाथ उसने छोड़ दिया।
जरा उदास है दुनिया,बहुत ख़राब है दिल,
तुम्हारी याद ने ये सोचना भी छोड़ दिया।
हजार साल का किस्सा तमाम कर डाला,
जमीं का एक वरक आसमां में जोड़ दिया।
तमाम जिंदगी हमने ग़ज़ल के नाम लिखी,
हरेक फैसलों हमने खुदा पे छोड़ दिया।।
29. कोई चिराग नहीं है
कोई चिराग नहीं है मगर उजाला है,
अजीब रात है सूरज निकलने वाला है।
गज़ब की आग है, इक बेलिबास पत्थर पर,
पहाड़ पर तेरी बरसात का दुशाला है।
अजीब लहजा है दुश्मन कि मुस्कुराहट का,
मुझे गिराया कहां है मुझे सम्भाला है।
निकल के पास की मस्जिद से एक बच्चे ने,
फसाद मेँ जली मूरत पे हार डाला है।
तमाम वादी ओ सहरा में आग रोशन है,
मुझे खजां के इन्हीं मौसमों ने पाला है।
30. गम हमेशा खूबसूरत दीजिये
गम हमेशा खूबसूरत दीजिये,
हम मुहब्बत हैं, मुहब्बत दीजिये।
धुप में फूलों की पलकें चुमिये,
अजनबी बच्चों को चाहत दीजिये।
झील की आँखों में पुरे चाँद को,
डूब जाने की इजाजत दीजिये।
उन परिंदों पर भरोसा कीजिये,
आसमान छूने की हिम्मत दीजिये।
आपसे मिलकर बहुत जी खुश हुआ,
फिर मिलेंगे अब इजाजत दीजिये।।
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मुहब्बतों में दिखावे की दोस्ती न मिला,
अगर गले नहीं मिलता तो हाथ भी न मिला।
घरोँ पे नाम थे,नामों के साथ ओहदे थे,
बहुत तलाश किया,कोई आदमी न मिला।
तमाम रिश्तों को मैं घर पे छोड़ आया था,
फिर उसके बाद मुझे कोई अजनबी न मिला।
खुदा की इतनी बड़ी कायनात में मैंने,
बस एक शक्श को माँगा, मुझे वो ही न मिला।
बहुत अजीब है ये कुर्बतों की दुरी भी,
वो मेरे साथ रहा और मुझे कभी न मिला।
22. दिखाई न दे
खुदा हमको ऐसी खुदाई न दे,
की अपने सिवा कुछ दिखाई न दे।
मुझे ऐसी जन्नत नहीं चाहिए,
जहां से मदीना दिखाई न दे।
मुझे अपनी चादर में यूँ ढाँप लो,
जमीं आस्मां कुछ दिखाई न दे।
मैं अश्कों से नामे मोहम्मद लिखूं,
कलम छीन ले रोशनाई न दे।
गुलामी को बरकत समझने लगें,
असीरों को ऐसी रिहाई न दे।
खुदा ऐसे एहसास का नाम है,
रहे सामने और दिखाई न दे।
23. नहीं आते
होठों पे मुहब्बत के फ़साने नहीं आते,
साहिल पे समंदर के खजाने नहीं आते।
पलकें भी चमक उठती है सोते में हमारी,
आँखों को अभी ख्वाब छुपने नहीं आते।
दिल उजड़ी हुई एक सराय की तरह है,
अब लोग यहाँ रात बिताने नहीं आते।
यरों नए मौसम ने ये एहसास किए हैं,
अब याद मुझे दर्द पुराने नहीं आते।
उडने दो परिंदों को अभी शोख हवा में,
फिर लौट कर बचपन के जमाने नहीं आते।
इस शहर के बादल तेरी जुल्फों की तरह है,
ये आग लगाने आते है, मगर बुझाने नहीं आते।
अहबाब भी गेरों की अदा सिख गए हैं,
आते हैं मगर दिल को दुखाने नहीं आते।
24. वो महकती पलकें
वो महकती पलकों की ओट से कोई चमका था रात में,
मेरी बंद मुठ्ठी न खोलिये वही कोहिनूर है हाथ में।
मैं तमाम तारे उठा उठा के गरीबों में बाँट दूँ,
कभी एक रात वो आस्मां का निजाम दे मेरे हाथ में।
अभी शाम तक मेरे बाग़ मेँ कहीँ कोई फूल खिला न था,
मुझे खुशबुओं मेँ बसा गया तेरा प्यार एक ही रात में।
तेरे साथ इतने बहुत से दिन तो पलक झपकते गुजर गए,
हुई शाम खेल ही खेल में,गई रात बात ही बात में।
कोई इश्क है की अकेला रेत की शाल ओढ़ के चल दिया,
कभी बाल बच्चों के साथ आ ये पहाड़ लगता है रात मेँ।
कभी सात रंगों का फूल हूँ,कभी धुप हूँ कभी धूल हूँ,
मैं तमाम कपड़े बदल चुका तेरे मौसमों की बारात में।।
25. कहाँ आँसुओं को
कहाँ आँसुओं को ये सौगात होगी,
नए लोग होंगे नई बात होगी।
मैं हर हाल में मुस्कुराता रहूंगा,
तुम्हारी मुहब्बत अगर साथ होगी।
चरागों को आँखों में महफूज रखना,
बड़ी दूर तक रात ही रात होगी।
परेशां हो तुम भी,परेशान हूँ मैं भी,
चलो मैकदे में,वहीं बात होगी।
चरागों की लौ से सितारों की जौ तक,
तुम्हें मैं मिलूंगा जहाँ रात होगी।
जहां वादियों में नए फूल आए,
हमारी तुम्हारी मुलाक़ात होगी।
सदाओं को अल्फाज मिलने न पाएँ,
न बादल घिरेंगे न बरसात होगी।
मुसाफिर हैं हम भी,मुसाफिर हो तुम भी,
किसी मोड़ पर फिर मुलाकात होगी।।
26. हम दोनों
सूरज चन्दा जैसी जोड़ी हम दोनों,
दिन का राजा की रानी हम दोनों।
जगमग जगमग दुनिया का मेला झूठा,
सच्चा सोना चांदी हम दोनों।
घर घर दुःख सुख का इक दीपक जले बुझे,
हर दीपक में तेल और बाती हम दोनों।
चारों और समुन्दर बढ़ती चिंताएं,
लहर लहर लहराती बादल किरन किरन,
उजले पर वाले दो पंछी हम दोनों।
मैं दहलीज का दीपक हूँ,आ तेज हवा,
रात गुजारें अपनी अपमी हम दोनों।
27.आँखों को आसुंओ
आँखों को आसुंओ में कभी यूँ सजा दिया,
पलकों को जुगनुओं का झरोखा बना दिया।
लहरों में एक दिन तेरी तसवीर आयेगी,
कागज को आज हमने नहीं में बहा दिया।
मैं शाख़ पर महकता हुआ एक गुलाब था,
ये किसकी बददुआओं ने पत्थर बना दिया।
मैं ताक का दिआ नहीँ, जंगल की आग हूँ,
जा प्तझड़ों का नामों-निशां तक मिटा दिया।
मैं चाँद का ख्याल था,तारों का ख्वाब था,
किसने मुझे चिराग बनाकर बुझा दिया।
अब सुबह की अजान मेरा मुहँ धुलायेगी,
बेख्वाब सिसकियों ने थपक्कर सुला दिया।।
28. उदास चाँद सितारों को हमने छोड़ दिया
उदास चाँद-सितारों को हमने छोड़ दिया,
हवा के साथ चले और हवा को मोड़ दिया।
उस आसमान को हमने जमीन बख्शी है,
ज़मीन सख्त थी,दिल का लहुँ निचोड दिया।
वह जानता है,अकेला कहाँ मैं जाऊंगा,
इसीलिए तो मेरा हाथ उसने छोड़ दिया।
जरा उदास है दुनिया,बहुत ख़राब है दिल,
तुम्हारी याद ने ये सोचना भी छोड़ दिया।
हजार साल का किस्सा तमाम कर डाला,
जमीं का एक वरक आसमां में जोड़ दिया।
तमाम जिंदगी हमने ग़ज़ल के नाम लिखी,
हरेक फैसलों हमने खुदा पे छोड़ दिया।।
29. कोई चिराग नहीं है
कोई चिराग नहीं है मगर उजाला है,
अजीब रात है सूरज निकलने वाला है।
गज़ब की आग है, इक बेलिबास पत्थर पर,
पहाड़ पर तेरी बरसात का दुशाला है।
अजीब लहजा है दुश्मन कि मुस्कुराहट का,
मुझे गिराया कहां है मुझे सम्भाला है।
निकल के पास की मस्जिद से एक बच्चे ने,
फसाद मेँ जली मूरत पे हार डाला है।
तमाम वादी ओ सहरा में आग रोशन है,
मुझे खजां के इन्हीं मौसमों ने पाला है।
30. गम हमेशा खूबसूरत दीजिये
गम हमेशा खूबसूरत दीजिये,
हम मुहब्बत हैं, मुहब्बत दीजिये।
धुप में फूलों की पलकें चुमिये,
अजनबी बच्चों को चाहत दीजिये।
झील की आँखों में पुरे चाँद को,
डूब जाने की इजाजत दीजिये।
उन परिंदों पर भरोसा कीजिये,
आसमान छूने की हिम्मत दीजिये।
आपसे मिलकर बहुत जी खुश हुआ,
फिर मिलेंगे अब इजाजत दीजिये।।
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