1. तुम नाहक टुकड़े चुन चुन कर,
दामन में छुपाए बैठे हो,
शीशों का मसीहा कोई नहीं,
क्या आस लगाए बैठे हो।।
2.इसी सबब से फलक का गिला नहीं करते,
तेरे फ़िराक में हम दिल बुरा नहीं करते।।
3.तेरे होंटों के फूलों की चाहत में हम,
दार की खुश्क टहनी पे वारे गए,
तेरे हाथों की समओं की हसरत में हम,
नीमतरीक राहों में मारे गए।।
4.सूलियों पर हमारे लबों से परे,
तेरे होटों की लाली लपकती रही,
तेरी जुल्फों की मस्ती बरसती रही,
तेरे हाथों की चांदी चमकती रही।।
5.जब धुली तेरी राहों में शामें-सितम,
हम चले आए,लाए जहां तक कदम,
लब पे हर्फ़ गजल,दिल में कंदीले गम
अपना गम था गवाही तेरे हुस्न की,
देख कायम रहे इस गवाही पे हम,
हम जो तारीक रहों में मारे गए।।
दामन में छुपाए बैठे हो,
शीशों का मसीहा कोई नहीं,
क्या आस लगाए बैठे हो।।
2.इसी सबब से फलक का गिला नहीं करते,
तेरे फ़िराक में हम दिल बुरा नहीं करते।।
3.तेरे होंटों के फूलों की चाहत में हम,
दार की खुश्क टहनी पे वारे गए,
तेरे हाथों की समओं की हसरत में हम,
नीमतरीक राहों में मारे गए।।
4.सूलियों पर हमारे लबों से परे,
तेरे होटों की लाली लपकती रही,
तेरी जुल्फों की मस्ती बरसती रही,
तेरे हाथों की चांदी चमकती रही।।
5.जब धुली तेरी राहों में शामें-सितम,
हम चले आए,लाए जहां तक कदम,
लब पे हर्फ़ गजल,दिल में कंदीले गम
अपना गम था गवाही तेरे हुस्न की,
देख कायम रहे इस गवाही पे हम,
हम जो तारीक रहों में मारे गए।।
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