अहमद फ़राज़ Best Shayari


1.हम अपनी रूह तेरे जिस्म में छोड़ आए फ़राज़
तुझे गले से लगाना तो एक बहाना था


2.अपने ही होते हैं जो दिल पे वार करते हैं फ़राज़
 वरना गैरों को क्या ख़बर की दिल की जगह कौन सी है

3.मैं तुझे खोके भी जिन्दा हूँ ये देखा तूने,
किस कदर हौसला हारे हुए इंसान में है।
फासले कुर्ब के शोलों को हवा देते हैं,
मैं तेरे शहर से दूर और तू मेरे ध्यान में है।

4.मैं शब का भी मुजरिम था सहर का भी गुनहगार,
लोगों मुझे इस शहर के आदाब सीखा दो।

5.इससे पहले कि बेवफा हो जायें,
क्यों न ऐ दोस्त हम जुदा हो जायें।
तू भी हिरे से बन गया पत्थर,
हम भी कल जाने क्या से क्या हो जायें।

6.लूट चूके इश्क में इक बार तो फिर इश्क करो,
किसको मालूम कि तकदीर सँवर भी जाये।

7.गनीम से भी अदावत में हद नहीं मांगी,
की हार मान ली लेकिन मदद नहीं माँगी।

8.जिंदगी तेरी अता थी सो तेरे नाम की है,
हमने जैसे भी बसर की तेरा एहसान ही है।

9.जो रंजिशें थी जो दिल में गुबार था न गया,
की अब की बार गले मिल के भी गिला न गया।
सभी को जान थी प्यारी सभी थे लब बस्ता,
बस इक फ़राज़ था जालिम से चुप रहा न गया।

10.जिस्म शोला है जभी जामा-ए-सादा पहना,
मेरे सूरज ने भी बादल का लबादा पहना।
सलवटें हैं मेरे चेहरे पे तो हैरत क्यों हैं,
जिंदगी ने मुझे कुछ तुम से जियादा पहना।

11.शायद कोई ख्वाइश होती रहती है,
मेरे अंदर कोई बारिश होती रहती है।

12.इतना सोचा भी ना था अब के तो तन्हा गुजरी,
वो कयामत ही गमगीन थी जो यकजा गुजरी।
आ गले तुझ को लगा लूं मीरे प्यारे दुश्मन,
एक मिरी बात नहीं तुझ पे भी क्या क्या गुजरी।

13.तड़प उठूं भी तो जालिम तेरी दुहाई न दूँ,
मैं जख्म जख्म हूँ फिर भी तुझे दिखाई न दूँ।
तेरे बदन में धड़कने लगा हूँ दिल की तरह,
ये और बात की अब भी तुझे सुनाई न दूँ।

14.वही इश्क जो था कभी जुनूँ उसे रोजगार बना दिया,
कहीं ज़ख्म बेच के आ गए कहीं शेर कोई सुना दिया।

15.किसी दुश्मन का कोई तीर ना पहुंचा मुझ तक,
देखना अब की मेरा दोस्त कॉमन खींचता है।

16.न शबो रोज ही बदले है न हाल अच्छा है,
किस ब्राह्मण ने कहा था कि ये साल अच्छा है।
मैंने पुछा था कि आखिर ये तगाफुल कब तक,
मुस्कुराते हुए बोले कि ये सवाल अच्छा है।

17.जिस्म बिल्लोर सा नाजुक है जवानी भरपूर,
अब के अंगड़ाई न टूटी तो बदन टूटेगा।।

1 comment:

  1. क्या बात है फ़राज़ साहब ।

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